प्रदेश की आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत बीमा क्लेम के लिए अधीकृत कंपनी न्यू इंडिया एस्योरेंस (एनआईए) ने पिछले 21 दिन से निजी और सरकारी अस्पतालों के बिल रोक रखे हैं। छोटा मोटा नहीं 60 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान नहीं किया। करीब 600 अस्पतालों के 21 दिन से बिल रुकने से सरकार तक हड़कंप मच गया।
6 लाख से अधिक लोगों के स्वास्थ्य बीमा बिल रुक जाने और अस्पतालों को भुगतान बंद होने से नए भर्ती होने वाले प्रतिदिन करीब 80 हजार लोगों के स्वास्थ्य बीमा के तहत फ्री इलाज का संकट पैदा हो गया। सरकार ने सैकड़ों अस्पतालों से कंपनी की शिकायत पर सोमवार रात आनन फानन में कंपनी को नोटिस दिया। उसे पाबंद किया कि बकाया भुगतान जल्द नहीं किया तो रोकी गए लाखों बिलों की बकाया राशि पर भारी ब्याज चुकाना पड़ेगा। कंपनी की बार बार मनमानी पर उसकी करोड़ों रुपए की सिक्योरिटी राशि भी जब्त करने की तैयारी है।
5वीं बार सॉफ्टवेयर खराबी का बहाना, बिल पास नहीं हुए
सरकार को प्रदेश भर से निजी और सरकारी अस्पतालों ने बताया कि उनके बिल एनआईए ने रोक रखे हैं। 21 दिन से कोई बिल पास नहीं किया। आयुष्मान भारत और स्वास्थ्य बीमा से जुड़े अफसरों ने फोन किया तो भी कोई जवाब नहीं दिया। इस पर एमडी स्टेट हैल्थ एस्योरेंस नरेश कुमार ठकराल तक बात पहुंची। इस बीच रात को ही कंपनी को तलब कर दिया गया। सामने आया कि कंपनी अब तक पांच बार सोफ्टवेयर खराब होने का कहकर बिल रोक चुकी है। ठकराल को शिकायतें मिली की निजी अस्पताल इसका कारण पूछते तो जवाब मिलता है कि बिलों का पेमेंट नहीं करेंगे। सरकार से कंपनी की बिलों के भुगतान को लेकर लड़ाई चल रही है।